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एक भगवत की प्राप्ति का मार्ग

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एक भगवत की प्राप्ति का मार्ग बाबा हनुमानजी की प्राप्ति करने पर भी  उनके परिवार के लोग हिन्दू धर्म के सभी देवों को उदा. राम,कृष्ण, शंकर-पार्वती, देवी इ. मानते थे । उनकी पूजा-अर्चना करते थे ।  जिससे उनके परिवार का दुःख पूरी तरह नष्ट नही हुआ था।  परिवार में दुःख आने से बाबा मंत्रोच्चार से फूंक मारते थे। मंत्रोच्चार  से तीर्थ करके देते और दुःख दूर करते थे।  अन्य लोगों को यह मालूम होने पर वे दुःखी त्रस्त लोग  बाबांकी ओर आने लगे। बाबा मंत्रोच्चार से फूंक मार कर उनके  दुःख दूर करने लगे। बाबा यह विधी करनेवाले होने पर भी उन्हे  इसमें से कुछ भी नही समझता था, वे अज्ञातवास में थे । परंतु  उनके मंत्र से लोंगो को भगवंत के गुण मिलते थे।  एक दिन रंगारी समाजकी शांताबाई नामक स्त्री अपना  दुःख लेकर बाबां के पास आयी । वह कैलास टाकीज के पीछे रहती  थी। उसके शरीर में बहुत भूत आते थे । बाबा जुमदेवजी बाबा  हनुमानजी का नाम लेकर हाथ में झाडू लेकर उसे मंत्रोच्चार से  उसके सिर पर मारते थे। परंतु वह मार उसे नही लगता था । उसके शरीर में आने वाले भूत पिशाच नही निकलते थे । यह  पिशाच निकालने की क्रिया निरंतर ढाई (२५) वर